उद्योगों का युग 10th Class Hindi - full story
कक्षा 10 इतिहास – अध्याय 4
“उद्योगों का युग” में यह बताया गया है कि दुनिया में कैसे औद्योगिक क्रांति (Industrial Revolution) आई, कैसे मशीनों का प्रयोग बढ़ा, व्यापार बदला और इसका असर भारत तथा यूरोप जैसे देशों पर कैसा पड़ा।
1. औद्योगिक क्रांति की शुरुआत कैसे हुई?
18वीं सदी के अंत में यूरोप, खासकर ब्रिटेन में मशीनें बनने लगीं।
पहले लोग हाथों से काम करते थे – कपड़ा बुनना, धातु का काम, लकड़ी का काम आदि।
लेकिन मशीनों के आने से उत्पादन तेज़ होने लगा और उद्योग तेजी से बढ़े।
2. हाथ के काम की महत्ता क्यों बनी रही?
यद्यपि मशीनें आ गई थीं, पर फिर भी हाथ से काम करने वाले कारीगरों की आवश्यकता हमेशा रही।
महँगे और खास ऑर्डर वाले सामान
बारीक डिज़ाइन वाले उत्पाद
छोटे स्तर पर गुणवत्ता वाले काम
ये मशीनें नहीं कर पाती थीं।
इसलिए यूरोप में मशीनों के रहते हुए भी 20वीं सदी तक हाथ का काम चलता रहा।
3. उद्योग कैसे फैलने लगे?
पहले उद्योग घरों में ही चल जाते थे।
पर जैसे-जैसे मांग बढ़ी, कारखाने बनने लगे।
कारखानों में लोग काम करने शहरों की ओर आने लगे, जिससे शहरीकरण बढ़ा।
लेकिन ध्यान देने वाली बात यह है कि:
👉 कारखानों के आने के बाद भी बहुत बड़ा हिस्सा घर उद्योगों का ही रहा।
4. भारत पर औद्योगिक क्रांति का प्रभाव
जब ब्रिटेन में उद्योग फले-फूले, तो भारत पर इसका बड़ा प्रभाव पड़ा।
(A) भारतीय कारीगरों की हालत बुरी हुई
अंग्रेज़ों ने भारत से कच्चा माल खरीदना शुरू किया और सस्ते मशीन वाले कपड़े भारत में बेचने लगे।
इससे:
भारत के हाथकरघा बुनकर
कारीगर
सूती व रेशमी कपड़े बनाने वाले
सबका व्यापार बहुत गिर गया।
(B) भारतीय उद्योगों की शुरुआत
19वीं सदी में भारत में भी कई उद्योग शुरू हुए:
टाटा आयरन एंड स्टील (TISCO)
कपड़ा मिलें (बॉम्बे, अहमदाबाद)
जूट मिलें (बंगाल)
पर भारत में उद्योग ब्रिटेन जितनी तेजी से नहीं बढ़ पाए क्योंकि अंग्रेज़ ज्यादा लाभ ब्रिटेन को पहुँचाते थे।
5. ईस्ट इंडिया कंपनी और भारतीय बुनकर
ईस्ट इंडिया कंपनी भारतीय वस्त्रों की गुणवत्ता से प्रभावित थी, इसलिए उसने बुनकरों पर कड़ा नियंत्रण किया।
उनसे जबरदस्ती ऊँचे कर वसूल
उन्हें कंपनी को ही माल बेचने को मजबूर किया
दूसरों को माल बेचने पर रोक लगा दी
इससे भारत का वस्त्र व्यापार कमजोर पड़ गया।
6. स्वदेशी आंदोलन और भारतीय उद्योगों का पुनर्जीवन
1905 में बंगाल विभाजन के दौरान स्वदेशी आंदोलन हुआ।
लोगों ने विदेशी वस्तुओं का बहिष्कार किया और भारतीय उद्योगों का समर्थन बढ़ा।
इससे भारतीय उद्योग फिर से आगे बढ़ने लगे।
7. 'उद्योगों का युग' का मुख्य संदेश
इस अध्याय का मुख्य उद्देश्य समझाना है कि:
औद्योगिक क्रांति एक धीमी प्रक्रिया थी
हाथ का काम और घर उद्योग लंबे समय तक चलते रहे
मशीनों के आने से समाज, व्यापार और रोजगार में बड़े बदलाव आए
ब्रिटिश शासन ने भारत के पारंपरिक उद्योगों को नुकसान पहुँचाया
स्वतंत्रता के बाद भारत में उद्योगों का विकास तेजी से हुआ
✅ निष्कर्ष (Conclusion)
“उद्योगों का युग” बताता है कि मशीनों की दुनिया ने दुनिया को कैसे बदल दिया।
इसने उत्पादन बढ़ाया, व्यापार बदला, रोजगार पर असर डाला और कई देशों की अर्थव्यवस्था को प्रभावित किया।
भारत ने कठिन समय का सामना किया, लेकिन आगे चलकर मजबूत उद्योगों का निर्माण किया।⭐ 1. अध्याय का सारांश (Summary in Hindi)
अध्याय “उद्योगों का युग” में बताया गया है कि मशीनों के आने से दुनिया में कैसे औद्योगिक क्रांति हुई, उद्योग कैसे विकसित हुए और इसका असर यूरोप व भारत पर क्या पड़ा।
18वीं सदी में ब्रिटेन में मशीनें बनने लगीं। पहले काम हाथ से होता था, लेकिन मशीनों के आने से उत्पादन तेजी से बढ़ा। इसके बावजूद हाथ के काम की अपनी महत्त्वपूर्ण जगह बनी रही क्योंकि कई काम मशीनें नहीं कर सकती थीं। धीरे-धीरे कारखाने बने और लोग गाँवों से शहरों की ओर काम की तलाश में आने लगे।
भारत पर इसका बड़ा असर हुआ। अंग्रेज़ों ने भारत से कच्चा माल खरीदा और भारत में मशीन से बने कपड़े बेचे, जिससे भारतीय कारीगरों का व्यवसाय घट गया। ईस्ट इंडिया कंपनी ने भारतीय बुनकरों पर सख्त नियंत्रण लगाकर उन्हें आर्थिक रूप से कमजोर कर दिया।
19वीं सदी में भारत में भी कपड़ा मिलें, जूट मिलें और लोहे-इस्पात उद्योग शुरू हुए। स्वदेशी आंदोलन ने भारतीय उद्योगों को फिर से उभरने में मदद दी।
यह अध्याय साफ बताता है कि औद्योगिक क्रांति एक रात में नहीं आई, बल्कि धीरे-धीरे तकनीक, व्यापार और समाज में बड़े बदलावों के साथ पूरी दुनिया को प्रभावित किया।
⭐ 2. लघु उत्तरीय प्रश्न (Short Answer Questions)
प्रश्न 1. औद्योगिक क्रांति किस देश में शुरू हुई?
उत्तर: औद्योगिक क्रांति की शुरुआत ब्रिटेन में हुई।
प्रश्न 2. हाथ से बने सामान की मांग क्यों बनी रही?
उत्तर: हाथ से बना सामान बारीक, सुंदर और विशेष ऑर्डर के लिए उपयोगी होता था; मशीनें ऐसे काम नहीं कर पाती थीं।
प्रश्न 3. ‘प्रोटो-इंडस्ट्री’ से क्या तात्पर्य है?
उत्तर: वह दौर जब उत्पादन घरों में छोटे पैमाने पर होता था और कारीगर व्यापारी के लिए सामान बनाते थे, उसे प्रोटो-इंडस्ट्री कहते हैं।
प्रश्न 4. ईस्ट इंडिया कंपनी ने बुनकरों पर कौन-सा नियंत्रण लगाया?
उत्तर: कंपनी ने बुनकरों को केवल कंपनी को ही कपड़ा बेचने को मजबूर किया और उन्हें अन्य व्यापारियों से संपर्क करने से रोका।
प्रश्न 5. स्वदेशी आंदोलन ने भारतीय उद्योग को कैसे मदद की?
उत्तर: लोगों ने विदेशी वस्तुओं का बहिष्कार किया जिससे भारतीय वस्तुओं की मांग बढ़ी और भारतीय उद्योग फले-फूले।
प्रश्न 6. TISCO की स्थापना कब हुई?
उत्तर: TISCO (टाटा आयरन एंड स्टील कंपनी) की स्थापना 1907 में हुई।
⭐ 3. दीर्घ उत्तरीय प्रश्न (Long Answer Questions)
प्रश्न 1. यूरोप में औद्योगिक क्रांति कैसे शुरू हुई और इसका समाज पर क्या प्रभाव पड़ा?
उत्तर:
यूरोप में औद्योगिक क्रांति 18वीं सदी के अंत में शुरू हुई। मशीनों की खोज, जैसे स्पिनिंग जेनी, स्टीम इंजन और पावरलूम ने उत्पादन की गति को बढ़ा दिया। इससे बड़े-बड़े कारखाने बनने लगे। लोग गाँवों से शहरों की ओर काम की तलाश में आने लगे और शहरीकरण बढ़ा। उत्पादन बढ़ने से व्यापार का विस्तार हुआ। कामगारों की स्थिति कठिन थी—लंबे घंटे काम, कम मजदूरी और खराब कार्य-स्थितियाँ। औद्योगिक क्रांति ने सामाजिक, आर्थिक और तकनीकी क्षेत्रों में गहरे परिवर्तन किए।
प्रश्न 2. भारत में ब्रिटिश शासन का पारंपरिक बुनकर उद्योग पर क्या प्रभाव पड़ा?
उत्तर:
ब्रिटिश शासन में भारतीय बुनकरों की स्थिति बहुत खराब हो गई।
अंग्रेज़ भारत से सस्ता कच्चा माल खरीदते थे।
ब्रिटेन में बने मशीन वाले कपड़े भारत में सस्ते मिलते थे, जिससे भारतीय कपड़ा बाजार खत्म होने लगा।
ईस्ट इंडिया कंपनी ने बुनकरों को केवल कंपनी को ही माल बेचने को मजबूर किया।
ऊँचे कर और दंड ने बुनकरों की आर्थिक स्थिति और बिगाड़ दी।
इन कारणों से भारत का पारंपरिक वस्त्र उद्योग लगभग नष्ट हो गया।
प्रश्न 3. 19वीं और 20वीं सदी में भारत में आधुनिक उद्योगों का विकास कैसे हुआ?
उत्तर:
भारत में आधुनिक उद्योगों का विकास 19वीं सदी के मध्य से शुरू हुआ।
सबसे पहले बॉम्बे और अहमदाबाद में कपड़ा मिलें स्थापित हुईं।
बंगाल में जूट मिलें खुलीं।
1907 में Jamshedpur में TISCO की स्थापना हुई, जिससे इस्पात उद्योग विकसित हुआ।
रेलवे के विस्तार ने भी उद्योगों को बढ़ावा दिया।
हालाँकि अंग्रेज़ों ने उद्योगों को पूरी तरह बढ़ावा नहीं दिया क्योंकि वे कच्चा माल लेकर लाभ अपने देश ले जाना चाहते थे, फिर भी भारतीय उद्यमियों ने धीरे-धीरे उद्योगों को मजबूत बनाया।
⭐ 4. अतिरिक्त महत्वपूर्ण प्रश्न-उत्तर
प्रश्न 1. ‘स्पिनिंग जेनी’ क्या थी?
उत्तर: यह एक मशीन थी जिससे धागा तेजी से काता जा सकता था। इससे कपड़ा उद्योग में उत्पादन बढ़ा।
प्रश्न 2. बुनकरों की दुर्दशा का मुख्य कारण क्या था?
उत्तर: ब्रिटिश कपड़ा उद्योग का सस्ता माल, कंपनी का अत्याचार और उच्च कर।
प्रश्न 3. औद्योगिक क्रांति ने लोगों के जीवन में क्या बड़ा बदलाव लाया?
उत्तर: लोग गाँवों से शहरों आए, मजदूरी-आधारित काम बढ़ा, समाज में अमीर-गरीब का अंतर बढ़ा और उत्पादन व व्यापार तेजी से बढ़े
1. औद्योगिक क्रांति की शुरुआत किस देश में हुई?
A. फ्रांस
B. जर्मनी
C. ब्रिटेन
D. रूस
उत्तर: C. ब्रिटेन
2. स्पिनिंग जेनी किससे संबंधित है?
A. लोहा उद्योग
B. धागा कातना
C. जहाज निर्माण
D. रेलवे
उत्तर: B. धागा कातना
3. TISCO की स्थापना कब हुई?
A. 1857
B. 1895
C. 1907
D. 1910
उत्तर: C. 1907
4. बंगाल में कौन-सा उद्योग सबसे पहले विकसित हुआ?
A. लोहा उद्योग
B. जूट उद्योग
C. कपड़ा उद्योग
D. सिगरेट उद्योग
उत्तर: B. जूट उद्योग
5. भारत के कपड़ा उद्योग को सबसे अधिक नुकसान किसने पहुँचाया?
A. फ्रांसीसी व्यापारी
B. भारतीय व्यापारी
C. ब्रिटिश मशीन वाले कपड़े
D. उपरोक्त में से कोई नहीं
उत्तर: C. ब्रिटिश मशीन वाले कपड़े
6. प्रोटो-इंडस्ट्री का अर्थ है—
A. बड़े कारखानों का उत्पादन
B. घरों में किया जाने वाला उत्पादन
C. रेलवे उद्योग
D. मशीनों का कार्य
उत्तर: B. घरों में किया जाने वाला उत्पादन
7. स्वदेशी आंदोलन कब शुरू हुआ?
A. 1905
B. 1920
C. 1930
D. 1857
उत्तर: A. 1905
8. ईस्ट इंडिया कंपनी ने किसे केवल कंपनी को ही माल बेचने के लिए मजबूर किया?
A. व्यापारी
B. किसान
C. बुनकर
D. मध्यस्थ
उत्तर: C. बुनकर
⭐ 2. एक शब्द / परिभाषा वाले प्रश्न
1. प्रोटो-इंडस्ट्री
उत्तर: वह दौर जब उत्पादन घरों में छोटे स्तर पर कारीगरों द्वारा किया जाता था।
2. स्पिनिंग जेनी
उत्तर: धागा कातने की प्रारंभिक मशीन।
3. टर्नपाइक
उत्तर: ब्रिटेन में निजी कंपनियों द्वारा बनाई गई शुल्क-आधारित सड़कें।
4. कारखाना प्रणाली
उत्तर: बड़े पैमाने पर मशीनों की सहायता से एक स्थान पर उत्पादन की व्यवस्था।
5. स्वदेशी आंदोलन
उत्तर: 1905 में विदेशी वस्तुओं के बहिष्कार और स्वदेशी वस्तुओं के प्रयोग का आंदोलन।
6. TISCO
उत्तर: टाटा आयरन एंड स्टील कंपनी (भारत का प्रमुख इस्पात उद्योग)।
7. औद्योगिक क्रांति
उत्तर: मशीनों द्वारा बड़े पैमाने पर उत्पादन की शुरुआत।
8. बुनकर
उत्तर: कपड़ा बुनने वाला कारीगर।
⭐ 3. महत्वपूर्ण प्रश्न-उत्तर
प्रश्न 1. हाथ से बने सामान की मांग क्यों बनी रही?
उत्तर: हाथ से बना सामान अधिक बारीक, सुंदर और विशेष ऑर्डर के अनुसार तैयार होता था। कई काम मशीनें नहीं कर सकती थीं, इसलिए उसकी मांग बनी रही।
प्रश्न 2. भारत में पारंपरिक बुनकर उद्योग को किन कारणों से नुकसान हुआ?
उत्तर:
ब्रिटिश मशीन वाले कपड़े भारत में सस्ते मिलने लगे।
अंग्रेज़ों ने भारतीय बुनकरों पर ऊँचे कर लगाए।
ईस्ट इंडिया कंपनी ने उन्हें केवल कंपनी को ही कपड़ा बेचने को बाध्य किया।
इन कारणों से पारंपरिक उद्योग कमजोर पड़ गया।
प्रश्न 3. भारत में आधुनिक उद्योग कैसे विकसित हुए?
उत्तर:
19वीं सदी में भारत में कपड़ा मिलें (बॉम्बे, अहमदाबाद), जूट मिलें (बंगाल) और इस्पात उद्योग (TISCO) स्थापित हुए। रेलवे के विस्तार और स्वदेशी आंदोलन ने भी भारतीय उद्योगों को बढ़ावा दिया।
प्रश्न 4. औद्योगिक क्रांति ने लोगों के जीवन में क्या परिवर्तन लाए?
उत्तर:
लोगों ने शहरों की ओर पलायन किया।
मजदूरी-आधारित काम बढ़ा।
बड़े कारखाने बने।
उत्पादन तेजी से बढ़ा।
समाज में अमीर-गरीब का अंतर बढ़ा।
प्रश्न 5. स्वदेशी आंदोलन ने भारतीय उद्योगों को कैसे प्रोत्साहन दिया?
उत्तर: विदेशी वस्तुओं के बहिष्कार से भारतीय वस्तुओं की मांग बढ़ी। लोगों ने स्थानीय उद्योगों को समर्थन दिया, जिससे भारतीय मिलें और कारखाने आगे बढ़ने लगे।1. औद्योगिक क्रांति की शुरुआत किस देश में हुई?
C. ब्रिटेन
2. स्पिनिंग जेनी किससे संबंधित है?
B. धागा कातना
3. TISCO की स्थापना कब हुई?
C. 1907
4. बंगाल में कौन सा उद्योग सबसे पहले विकसित हुआ?
B. जूट उद्योग
5. ‘प्रोटो-इंडस्ट्री’ का अर्थ है—
B. घरों में किया जाने वाला उत्पादन
6. स्टीम इंजन का विकास किसने किया?
A. जेम्स वाट
7. औद्योगिक क्रांति का मुख्य प्रभाव क्या था?
A. मशीनों द्वारा बड़े पैमाने पर उत्पादन
8. ईस्ट इंडिया कंपनी ने किसे सिर्फ कंपनी को माल बेचने के लिए बाध्य किया?
C. बुनकर
9. स्वदेशी आंदोलन कब शुरू हुआ?
A. 1905
10. ‘टर्नपाइक’ शब्द का संबंध किससे है?
A. निजी सड़कें
11. ब्रिटेन में कपड़ा उद्योग किस शहर में केंद्रित था?
C. मैनचेस्टर
12. भारत में सबसे पहला आधुनिक उद्योग कौन सा था?
B. कपड़ा उद्योग
13. सूती कपड़े की मांग कम होने का मुख्य कारण था—
C. मशीन वाले सस्ते कपड़ों का आयात
14. भारत में जूट मिलें किस क्षेत्र में थीं?
B. बंगाल
15. कौन-सा औद्योगिक क्षेत्र भारत में सबसे तेजी से बढ़ा?
A. कपड़ा उद्योग
16. ‘औद्योगिक क्रांति’ का अर्थ क्या है?
C. मशीनों द्वारा उत्पादन की शुरुआत
17. किस मशीन ने बुनाई कार्य को तेज बनाया
B. पावरलूम
18. ब्रिटेन में ‘टर्नपाइक ऐक्ट’ किससे जुड़ा है?
A. सड़कों पर कर लगाना
19. भारत में रेलमार्ग किनके लाभ के लिए बनाया गया था?
C. अंग्रेज़ों के व्यापार के लिए
20. जेम्स वाट ने किसका सुधार किया?
A. स्टीम इंजन
21. कौन सा उद्योग भारत में ब्रिटिश शासन में सबसे ज्यादा प्रभावित हुआ?
B. हाथकरघा उद्योग
22. घरों में छोटे-छोटे उत्पादन को क्या कहते हैं?
A. प्रोटो-इंडस्ट्री
23. भारत के इस्पात उद्योग की शुरुआत कहाँ हुई?
C. जमशेदपुर
24. औद्योगिक क्रांति किस सदी में हुई?
A. 18वीं सदी
25. भारत में सबसे पहले कपड़ा मिल कहाँ स्थापित हुई?
A. बॉम्बे
26. ब्रिटेन ने भारतीय कपड़े पर भारी कर क्यों लगाया?
C. भारतीय उद्योग को खत्म करने और ब्रिटिश माल बेचने के लिए
27. पावरलूम मशीन किस कार्य के लिए उपयोग होती है?
A. कपड़ा बुनने के लिए
28. बुनकरों की दुर्दशा का मुख्य कारण क्या था?
B. ब्रिटिश मशीन वाले कपड़ों का आयात
29. 18वीं सदी में भारत किस वस्तु का प्रमुख निर्यातक था?
C. कपड़ा
30. आधुनिक उद्योगों के विकास में किसने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई?
A. रेलवे
31. ब्रिटेन में उद्योगों के विकास का एक मुख्य कारण—
B. कोयले की उपलब्धता
32. कंपनी ने बुनकरों को किस व्यवस्था के तहत बांध रखा था?
C. अग्रिम धन (अडवांस सिस्टम)
33. भारत का पहला इस्पात कारखाना किसने शुरू किया?
A. जमशेदजी टाटा
34. स्वदेशी आंदोलन का मुख्य उद्देश्य क्या था?
C.विदेशी वस्तुओं का बहिष्कार
35. किस स्थान को ‘कपड़ा नगरी’ कहा जाता था?
A. मैनचेस्टर
36. मशीनों के आने से किसमें तेजी आई?
B. उत्पादन
37. भारत में जूट उद्योग का केंद्र क्यों था?
C. गंगा डेल्टा में कच्चे जूट की अधिकता
38. ब्रिटेन ने भारत को किस रूप में इस्तेमाल किया?
A. कच्चा माल स्रोत
39. किस देश ने भारत में अपने कपड़े सबसे ज्यादा बेचे?
B. ब्रिटेन
40. औद्योगिक क्रांति ने किस वर्ग को सबसे अधिक नुकसान पहुंचाया?
C. कारीगर और बुनकर वर्गअध्याय “उद्योगों का युग” हमें यह समझाता है कि दुनिया में उद्योगों का विकास एक दिन में नहीं हुआ, बल्कि यह एक धीमी और जटिल प्रक्रिया थी। हाथ से काम करने वाले कारीगरों से लेकर मशीनों और बड़े-बड़े कारखानों तक की यह यात्रा मानव सभ्यता के विकास की एक महत्वपूर्ण कहानी है। इस अध्याय से हम जान पाते हैं कि कैसे तकनीकी खोजों ने उत्पादन के तरीकों को पूरी तरह बदल दिया, कैसे व्यापार और रोजगार नए रूप में उभरे, और कैसे समाज, अर्थव्यवस्था और जीवन शैली में गहरे परिवर्तन आए।
भारत के संदर्भ में यह अध्याय एक महत्वपूर्ण संदेश देता है कि औद्योगिक क्रांति ने हमारे पारंपरिक उद्योगों को भले ही कमजोर किया हो, लेकिन इसने हमें आधुनिक उद्योगों की ओर भी अग्रसर किया। जूट मिलों से लेकर TISCO तक की यात्रा भारतीय उद्यमिता और संघर्ष की कहानी को दर्शाती है। स्वदेशी आंदोलन ने भारतीयों में स्वाभिमान और आर्थिक आत्मनिर्भरता की भावना जगाई, जिसने आगे चलकर उद्योगों को नई दिशा दी।
अंत में, “उद्योगों का युग” न केवल उद्योगों के विकास का इतिहास है, बल्कि यह हमें यह भी सिखाता है कि समय के साथ कैसे परिवर्तन होते हैं और समाज उन्हें अपनाकर आगे बढ़ता है। यही बदलाव मानव प्रगति की असली पहचान है। इस अध्याय के माध्यम से हम यह समझते हैं कि तकनीक, मेहनत और नवाचार मिलकर किसी भी देश और समाज को नई ऊँचाइयों पर ले जा सकते हैं।
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